एक तो है वो चांद का टुकड़ा
...
कौन कहता है
कि मोहब्बत ग़ुम है
कभी किसी पिता को
अपने बच्चे के साथ खेलता देखना ...
"चौहान"
...
जहां जहां भी जला दिल वहां कोई धूआं नहीं था
कमाल ये था कि दिल को जलाने वाला भी वहीं था ...
"चौहान
सरेबाज़ार हकीकतें उठेंगी किसी दिन
झुकेंगे सिर जो झूठ को उठाए हुए हैं...
"चौहान"
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