एतबार करके भी कोई ऐतबार नहीं करता
मोहब्बत तो वो क्यों इकरार नहीं करता ..
"चौहान"
मिलने लगी हैं सिसकियां हिचकियों से मेरी
कोई हमें अब याद ना ही करे तो अच्छा ...
"चौहान"
फिर आज तोड़ेगा गुमान’ हुसन तेरा उनका
असमान में वो चाँद ना ही चढ़े तो अच्छा..
"चौहान"
जब कभी उस पार जाने का ख्याल आता है मुझे