कभी मिलकर भी मिलने से कतरातें हैं लोगकि सच्चे दिल से झूठी कसमें खाते हैं लोग ..."चौहान"
कुछ इस तरह करते हैं वो इलाज-ए-दिल कभी हूं कह देते हैं कभी क्यूं कह देते हैं... "चौहान"
कौन कहता हैकि मोहब्बत गुम हैकभी बच्चों के साथबच्चों के पिता को खेलते हुए देखना..."चौहान"दिले नादां’ कभी कभी यूं भी होता है,सवाल के जबाब में कयूं भी होता है ..."चौहान"अकलमंदी है इसी में ’चौहान’अकल वालों से तू दूर रहा कर ...’चौहान
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