deemak

सच बोलने से कहीं ज्यादा मुश्किल,
सच को सच साबित करना होता है...
"चौहान"
जब कुछ भी करने को नहीं होता तब वक्त होता है कुछ भी करने का ,,,"चौहान"रसता भूलने वाला ही कोई नया रसता ढूंढता है ...
रसता भूलने वाला ही कोई नया रसता ढूंढता है ...
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